बात करते समय सेकण्ड की सुई को हर पल देखते रहना पड़ता है ।
2.
बात करते समय सेकण्ड की सुई को हर पल देखते रहना पड़ता है ।
3.
सेकण्ड की सुई साँसों के समान अनवरत चलती है टिक-टिक की आवाज दिल की धड़कन सी लगती है
4.
कुछ दिनों पहले तक हम फोन पर बात करते समय सेकण्ड की सुई को देखते जरूर थे पर मिनट की अवधि चूक जाने पर फिर एक और मिनट के लिए रिलैक्स हो लाते थे ।
5.
कुछ दिनों पहले तक हम फोन पर बात करते समय सेकण्ड की सुई को देखते जरूर थे पर मिनट की अवधि चूक जाने पर फिर एक और मिनट के लिए रिलैक्स हो लाते थे ।
6.
मित्र-धन समानता घड़ी और मनुष्य में बहुत समानता है घड़ी भी चलती है मनुष्य भी घड़ी की तीन सुइयों के समान बचपन, जवानी और बुढ़ापा है सेकण्ड की सुई साँसों के समान अनवरत चलती है टिक-टिक की आवाज दिल की धड़कन सी लगती है संयोग है कि घड़ी को मनुष्य चलाता है लेकिन सत्यता इसके विपरीत है घड़ी ही मनुष्य को चलाती है एक समय आता है चलते-चलते घड़ी रुक जाती है और मनुष्य भी... ।